ये कहानी मेरी माँ, मोहिनी के बारे में है – 40 साल की उमर, फिगर 42-34-44, बड़े-बड़े रसीले चूचे, मोटी गांड, और एक ऐसा बदन जो किसी के भी लंड को खड़ा कर दे! माँ एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में गणित के शिक्षक थे, और एक निम्फोमेनियाक थी जो दर्द में मजा लेती थी, शर्म या गुनाह से दूर, सिर्फ अत्यधिक दर्द में रोटी थी, और शुरुआत में हमेशा थोड़ी नखरा दिखती थी। एक बार माँ मेरी मासी और उनके पति के साथ ऋषिकेष गई – वहाँ दारू, मस्ती, और एक वाइल्ड थ्रीसम ने रात को आग लगा दी!
हुआ ये कि मेरी मासी, रीना, 38 साल की, फिगर 40-32-42, भी एक मस्त औरत थी – गोरी, बड़े चूचे, मोटी गांड, और एक शरारती नेचर जो माँ से मिलती थी। मासी का पति, अनिल, 42 साल का, लांबा, एक बिजनेसमैन, था जो अपनी बीवी के साथ खुल के मस्ती करता था। मासी और माँ एक दूसरे के राज़ जानती थी – माँ की अप्सरा प्रकृति और मासी की भी थोड़ी जंगली तरफ – और दोनों अक्सर आपस में गन्दी बातें करती थी। एक दिन मासी ने माँ को फ़ोन किया, “मोहिनी, चल ऋषिकेश चलते हैं – थोड़ी गंगा की ठंडी हवा, दारू, और मस्ती! अनिल भी आ रहा है, तू अकेली क्यों रह रही है?” माँ ने नखरा दिखाया, “रीना, मैं काम में व्यस्त हूँ – और दारू-मस्ती में क्या रखा है?” पर अंदर से उनकी चूत गीली हो रही थी – उनकी निम्फो नेचर मस्ती के लिए तड़प रही थी।
तोह प्लान बना – माँ, मासी, और अनिल ऋषिकेष के लिए निकल गये। मैं, अंकुर, 22 साल का, ऑफिस में था, और पापा भी, तो मैं नहीं गया। उन्हें एक रिवरसाइड रिज़ॉर्ट बुक किया – गंगा के किनारे, लकड़ी की झोपड़ी, बड़ी बालकनी, और जंगल का दृश्य। माँ ने एक टाइट हरी साड़ी पहनी – ब्लाउज छोटा, चुचियाँ उबर के दिख रही थी, गांड मटकती – और मासी ने एक लाल लहंगा-चोली पहना, पेट नंगा, चुचे चोली में टाइट। अनिल ने कैज़ुअल शर्ट और जींस पहनी – उसकी मस्कुलर बॉडी दिख रही थी। दिन भर उन्हें ऋषिकेश घुमा – लक्ष्मण झूला, गंगा आरती, और थोड़ी सी ट्रैकिंग – और शाम को रिसॉर्ट वापस आये, मस्ती के मूड में।
शाम के 7 बजे, रिसॉर्ट के कॉटेज में तीन बालकनी पर बैठ गए – गंगा की ठंडी हवा, हल्का संगीत, और दारू का प्लान। अनिल ने व्हिस्की की बोतल निकाली – तीन गिलास में बर्फ, सोडा, और व्हिस्की डाला – और टोस्टिंग शुरू हो गई। “मस्ती के लिए शुभकामनाएँ!” अनिल ने बोला, और तीनो ने ग्लास खाली किये। माँ ने पहले गिलास धीरे पिया, फिर दूसरा जल्दी – उनकी आँखें लाल, नशा चढ़ रहा था। मासी भी मस्त हो गई – वो अनिल के पास बैठी, उसके भगवान में हाथ फेर रही थी। माँ ने नखरा दिखाया, “रीना, ये क्या शुरू कर दिया? मैं यहाँ अकेली हूँ!” मासी ने हसके बोला, “अरे मोहिनी, तू अकेली कहां? अनिल तुझे भी कंपनी देगा!”
दारू के तीन-चार दौर के बाद तीनो खुल गए – गंदी बातें शुरू हो गई। मासी ने अनिल से पूछा, “अनिल, बोल, मोहिनी कैसी लगती है?” अनिल ने माँ को घूरा – उनकी चुचियाँ, मटकती गांड – और बोला, “मस्त लगती है, रीना – एकदम रंडी जैसी, चोदने का मन करता है!” माँ ने नखरा दिखाया, “अरे अनिल, ये क्या बोल रहा है? मैं तेरी साली हूँ, शरम नहीं आती?” पर उनकी चूत गीली हो रही थी। मासी ने शरारती मुस्कान दी, “मोहिनी, नखरा मत कर – तू भी तो निम्फो है, हम दोनों के राज़ मुझे पता हैं। चलो, आज थ्रीसम करते हैं – अनिल हम दोनों को चोदेगा!”
माँ ने थोड़ी देर विरोध किया, “रीना, ये ग़लत है – अनिल तेरा पति है!” पर मासी ने उनका हाथ पकड़ा, “अरे, ये प्यार है – एक रात की मस्ती, कोई गुनाह नहीं!” अनिल ने भी बोला, “मोहिनी, तू मेरी फंतासी है – तेरी चूत और गांड के लिए तरस रहा हूँ! जब से तुमने देखा है तुझे चोदने का हसरत है, आज मौका है और दस्तूर भी है – आज मेरा लंड तेरी चूत का संगम होगा” माँ के चेहरे पर एक जंगली मुस्कान आयी, “ठीक है, रीना, अनिल – पर मुझे दर्द चाहिए, जाम के चोदना मुझे!” उनकी नखरे ख़तम – निम्फ़ो रूप जग गया।
टीनो कॉटेज के बेडरूम में चले गए – बड़ा बिस्तार, धीमी रोशनी, और गंगा की आवाज़ बैकग्राउंड में। मासी ने अपना लहंगा उतारा – सिर्फ ब्रा और पैंटी में, चूचे उबर के दिख रहे थे। माँ ने साड़ी खींच दी – ब्लाउज खुला, ब्रा नीचे सरकी, चुचियाँ आज़ाद, बड़े-बड़े, निपल्स टाइट। अनिल ने शर्ट और जींस उतारी – उसका लंड 8 इंच का, मोटा, सुपाड़ा लाल – तंबू बना रहा था। मासी ने माँ को बिस्तार पे लिटाया – उनकी चुचियाँ चूसने लगी, जीभ से निपल्स पे गोल-गोल घुमायी। माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, रीना, मेरी रंडी बहन ये करवा रही है अपने पति को शेयर करवा रही है रांड भडवी” अनिल ने माँ की चूत पर हाथ रखा – दो उंगली घुसा दी, अंदर-बाहर करने लगा।
माँ बिस्तार पर मचलने लगी मानो कोई मछली तड़पती है बिन पानी के। ऊपर बहन स्तन चुन रही है तो जीजा चूत में उंगली कर रहा है। अनिल ने अपनी जिज्ञासु माँ की चूत पर लागयी और चुसने लगा “गज़ब सुगंध है तेरी चूत की, दीवाना बन रही है साली जी”
माँ ने नखरा दिखाया, “जीजा, धीरे चूसो आहहह सनसनी हो रही है भयंकर वाला आहहहहह उफफफ्फ़” पर ये झूठ था – उनकी चूत रस से भर गई, वो दर्द का मजा ले रही थी। मासी ने अनिल का लंड पकड़ा – मुँह में लिया, चुनने लगी – और माँ को बोली, “मोहिनी, तू भी चूस!” माँ ने अनिल का लंड मुँह में लिया – गले तक घुसा, “आह, जीजा, तेरा लंड कितना बड़ा और मोटा है। जालान होती है मुझसे तेरे से अह्ह्ह्ह बहना, इतना मस्त हत्यार रोज़ चूत में लेती है तू”। अनिल ने उनकी चूत में तीसरी उंगली डाली – माँ का बदन कंप गया, “आह, जीजा, मेरी चूत फट रही है – और ज़ोर से!” मासी ने हसके बोला, “वाह मोहिनी, तू तो एकदम रंडी है – अब असली चुदाई शुरू होगी!”
अनिल ने मां को बिस्तार पे लिटाया – उनकी टांगें चौड़ी, चूत गीली और खुली। उसने लंड चूत पे रखा – थोड़ी सी थूक लगाई – और एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा 8 इंच का लंड अंदर घुस गया। माँ गाल उठी, “आह, जीजा, मेरी चूत फट गयी – धीरे कर! प्यार से कर ना मैं कह भाग रही हूँ। यहीं तेरे लौड़े के नीचे ही हूँ” पर ये मजे की गाल थी – उनकी निम्फो नेचर दर्द में ख़ुशी पा रही थी। अनिल ने तेजी से धक्के मारने शुरू किये – थप-थप-थप की आवाज बेडरूम में गूंज रही थी। माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आअहह, अह्ह्ह्ह जीजा अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआन्न अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह उफफ्फ्फ्फ़ मयईईई अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह सिइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ।
मासी ने अपनी पैंटी उतारी – अपनी चूत अनिल के मुँह पर राखी, “अनिल, मेरी चूत चाट – और मोहिनी को चोद!” अनिल ने मासी की चूत चूसना शुरू किया – जीभ अंदर-बाहर, रस पी रहा था – और माँ को तेजी से चोदा। माँ ने मासी के चूचे पकड़ लिए – ज़ोर से दबाये – और बोली, “आह, रीना, तेरी चुचियाँ एकदम मस्त हैं – इसको नोच दू क्या?” मासी सिसकियाँ ले रही थी, “आह, मोहिनी, तू कितनी जंगली है – मेरी चूत भी चुदेगी!” अनिल ने 20 मिनट तक माँ की चूत चोदी – माँ का बदन पसीने से गीला, चुचियाँ उछल रही थी। वो बोली, “आह, जीजा, मेरी चूत टूट रही है – पर मत रुक, चोद मुझे! आह तेरा मोटा लंड मुझे दे बीवी को तो रोज़ चोदता है आज साली को शांत कर आह्ह्हह्ह्ह्ह”
अनिल ने माँ को उठाया – खुद बिस्तार पे लेट गया – और उनको अपने ऊपर बिठा लिया। उसने माँ की चूत पे रखा – माँ ने धीरे से लंड अंदर लिया, “आह, अनिल, तेरा लंड मेरी चूत में दर्द दे रहा है – पर मजा आ रहा है! अंदर तक लग रहा है अह्ह्ह्ह अइइ ओता लंड है तेरा जीजा” अनिल ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा – लाल निशान बन गया – और बोला, “उचल रंडी – अपना रंडी पना दिका और अपनी चूत घिस मेरे मोटे लंड पे!” माँ ने तेजी से उछाल शुरू किया – उनकी चुचियाँ झूल रही थी, गांड थप-थप करके अनिल के लंड पे बैठ रही थी। मासी ने अपनी चूत माँ के मुँह पर राखी, “मोहिनी, मेरी चूत चाट – तू भी मजा ले!” माँ ने मासी की चूत चूसना शुरू किया – जीभ से रस पी रही थी – और सिसकियाँ ली, “आह, रीना, तेरी चूत एकदुम रसीली है – इसको खा जाऊँगी!”
मासी का पानी निकल गया.
अनिल ने माँ की चुचियाँ पकड़ ली – ज़ोर से मसल दिये – और बोला, “मोहिनी, तू एकदम निम्फो रानी है – तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा!” माँ 15 मिनट तक उछली – माँ का बदन पसीने से गीला हो गया, चूत से रस टपक रहा था। वो बोली, “आह, जीजा, मेरी चूत जल रही है – और ज़ोर से चोद मुझे राजा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह हाआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह अन्न्न्नन्नु उम्म्म्म्म्म्म्म उफफ्फ्फ्फ़” मासी झड़ गयी – माँ के मुँह पे रस छोड़ दिया – और बोली, “मोहिनी, तू एकदम मस्त है – अब तेरी गांड का नंबर है!”
अनिल ने माँ को बिस्तार पे घोड़ी बनाया – उनकी मोटी गांड हवा में थी, टाइट और चमक रही थी। उसने अपनी गांड पर रखा – थूक लगाई – और एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा 8 इंच का लंड अंदर घुस गया। माँ चीख उठी, “आह, अनिल, मेरी गांड फट गई – यह दर्द चरम है!” ये अत्यधिक दर्द था – उनकी आँखों में पानी आ गया, पर चेहरे पर एक मर्दवादी मज़ा भी था। अनिल ने उनकी कमर पकड़ ली, “वाह मोहिनी तुम्हारी गंध बहुत ज़्यादा टाइट है ऐसा लग रहा है किसी कॉलेज की लड़की की गांड को चोद रहा हूँ। मैं देर तक चुदाई नहीं कर पाऊँगा”
उसने तेजी से गांड चोदना शुरू किया – हर धक्का क्रूर, माँ रो रही थी, पर सिसकियाँ मजे की थी, “आह, अनिल, मेरी गांड जल रही है – पर और ज़ोर से, मुझे ये दर्द पसंद है!”
मासी ने अपनी चूत अनिल के मुँह पर फिर से राखी – वो चूस रहा था, और माँ की गांड चोदी। माँ ने मासी के चूचे नोच दिये – लाल निशान बन गये – और बोली, “आह, रीना, तेरी चूत और मेरी गांड – ये थ्रीसम एकदम मस्त है!” अनिल ने 15 मिनट तक गांड चोदी – माँ का बदन ख़राब हो गया था, गांड लाल हो गई। आख़िर में, अनिल ने अपनी मल माँ की गांड में छोड़ दिया – रस तपाक-तपक के बिस्तर पे गिरा – माँ हांफते हुए बोली, “आह, अनिल, तेरी माल ने मेरी गांड भर दी – तू एकदम दमदार है!”
अब बारी मौसी की थी औसा ने मौसी को घोड़ी पोजीशन में बनाया और उनकी कमर पर अपना हाथ लगाया। अपने लंड का पूरा हिसाब उन्हें ने मौसी की चूत में अंदर घुसा दिया और उनकी जोर से चुदाई करने लगे। मौसा के आनंद मासी की चूत पर लग रहे थे उनको बहुत मजा आ रहा था मौसा लगभग क्लाइमेक्स पर थे या उनहोने अपना माल मौसी में गिरा दिया
मां बिस्तार पे थक के गिर पड़ी – बदन पसीना और रस से गीला, चुचियां लाल, गांड पर थप्पड़ों के निशान, आंखें अत्यधिक दर्द से थोड़ी नम। पर चेहरे पे एक संतुष्ट, निम्फ़ो मुस्कान थी – वो दर्द में ख़ुशी पा चुकी थी। मासी ने माँ को गले लगाया, “मोहिनी, तू एकदम वाइल्ड है – ये थ्रीसम याद रहेगा!” अनिल ने बोला, “मोहिनी, तेरी चूत और गांड ने मेरी जान निकल दी – कभी भी आ जा!” माँ ने हसके बोला, “अनिल, रीना, तुम दोनों ने मुझे दर्द और मजा दिया – अगली बार फिर मस्ती करेंगे!”
टीनो ने कपड़े पहने – माँ ने नाइटी डाली, मासी ने लहंगा, और अनिल ने जींस। सुबह वो सामान्य बात कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। मैं ऋषिकेश नहीं गया, पर बाद में मासी ने मुझे हिंट दिया कि उन्हें “मस्त मस्ती” की। माँ की अप्सरा प्रकृति, दर्द में मज़ा, और अत्यधिक दर्द में रोना – सब सुनकर मैं सदमे में था, पर चुप रहा।
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