Maa ki chudai dekhi

by Audiostory69 On October 13, 2025

1 min read

ये कहानी मेरी माँ, मोहिनी के बारे में है – 40 साल की उमर, फिगर 42-34-44, बड़े-बड़े रसीले चूचे, मोटी गांड, और एक ऐसा बदन जो किसी के भी लंड को खड़ा कर दे! माँ एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में गणित के शिक्षक थे, और एक निम्फोमेनियाक थी जो दर्द में मजा लेती थी, शर्म या गुनाह से दूर, सिर्फ अत्यधिक दर्द में रोटी थी, और शुरुआत में हमेशा थोड़ी नखरा दिखती थी। एक दिन, एक आदमी अपने बच्चे का एडमिशन कराने इंस्टिट्यूट आया, और माँ को एक स्टूडेंट के साथ चुदाई करते देख लिया – फिर उसने ब्लैकमेल करके माँ को जम के चोदा।

मां इंस्टिट्यूट में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक 12वीं के बच्चों को मैथ्स पढ़ती थी – उनकी साड़ी टाइट होती थी, चुचियां ब्लाउज में उबर के दिखती थी, गांड मटकती थी – और उनकी निम्फो नेचर उन्हें स्टूडेंट्स के साथ शरारती बनाती थी, हमेशा शुरुआत में नखरा दिखाती थी।

एक दिन, दोपहर के 3 बजे, एक आदमी इंस्टीट्यूट में आया – नाम था विनोद, 45 साल का, मोटा, गोरा, कुर्ता-पायजामा पहने, अपने 16 साल के बेटे का 11वीं क्लास में एडमिशन कराएं। विनोद एक स्थानीय व्यवसायी थे – पैसा और बिजली का घमंड उसकी बातों में दिखाया गया था। वो इंस्टीट्यूट के रिसेप्शनिस्ट से मिला, फिर प्रिंसिपल के ऑफिस गया, और एडमिशन फॉर्म भरने के लिए इंतजार करने लगा। हमें वक्त मां एक क्लास खत्म करके क्लासरूम से निकल रही थी – अनहोनी एक ब्लैक साड़ी पहननी थी, ब्लाउज टाइट, चुचियां उबर के दिख रही थी, गांड साड़ी में टाइट और मटकती। विनोद ने माँ को देखा – उनकी चुचियाँ, नंगा पेट, मटकती गांड – और उसका लंड पैंट में खड़ा होने लगा। वो सोच रहा था, “ये टीचर तो एकदम रंडी जैसी है – इसको चोदना चाहिए!”

मां अपना एक पसंदीदा छात्र, करण, 18 साल का, लंबा, गोरा, मस्कुलर, के साथ बात कर रही थी। करण ने माँ को चुपके से बोला, “मैम, क्लास के बाद ऊपर स्टोर रूम में चलो – तेरी चूत का होमवर्क करना है!” मां ने नखरा दिखाया, “अरे करण, चुप कर – मैं तेरी टीचर हूं, वैसे भी अभी बहुत रिस्क है बहुत लोग ऊपर नीचे कर रहे हैं हम लोग पकड़ते हैं” पर उनकी आंखों में एक शरारती चमक थी – उनकी निम्फो नेचर चुदाई के लिए तड़प रही थी।

“मुझे कुछ नहीं पता मैडम मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है इसी समय चुप चाप ऊपर चलो या मेरे लंड को शांत करो” करण बोला। मां सोची ये टीनएजर्स भी ना हमेशा तैयार रहते हैं। इसीलिये माँ उनसे चुदवाती थी हमेशा.

वो करण के साथ ऊपर स्टोर रूम की तरफ चली गई, और विनोद ने उनको जाते हुए देखा। उसने सोचा शायद कुछ दिनचर्या का काम है, पर दिल में शक था। थोड़ी देर बाद, विनोद को पानी पीने का बहाना मिला – वो ऊपर पानी की बोतल लेने गया, और स्टोर रूम के पास पहुंच गया।

स्टोर रूम छोटा सा था – पुरानी किताबें, एक स्टडी टेबल, और थोड़ी सी गंदगी। मां और करण अंदर थे – दरवाजा थोड़ा खुला था, शायद जल्दी में बंद करना भूल गए। करण ने मां की साड़ी खींच दी थी – ब्लाउज खुला, ब्रा नीचे सरकी, चुचियां आजाद, बड़े-बड़े, निपल्स टाइट। माँ की पेटीकोट ऊपर उठी हुई थी, चूत गीली और चमक रही थी। करण ने माँ को स्टडी टेबल पर लिटाया – उनकी टांगें चौड़ी, चूत खुली – और अपना 7 इंच का लंड चूत में पेल दिया। माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, करण, धीरे – मेरी चूत में दर्द हो रहा है!” पर ये नखरा था – उनकी निम्फो नेचर दर्द में मजा ले रही थी।

“मैडम तू सच बहुत बड़ी रंडी है, मैं तो सिर्फ छेदने के लिए तुझे बोल रहा था लेकिन ऐसे में ऊपर आ गई। तुझे लोक शर्मा का कोई डर नहीं है इसलिए तू मेरी रानी है…” ये कह कर करण और जोर से माँ की चुदाई चालू की

करण तेजी से धक्के मार रहा था – थप-थप-थप की आवाज स्टोर रूम में गूंज रही थी। माँ बोली, “आह, करण, और ज़ोर से मेरे रज़ा अपनी जवानी का जोश तो दिखा और अपने मस्त लौड़े से मेरी बुर फाड़ दे!” करण ने उनकी चुचियाँ पकड़ ली, ज़ोर से दबायी, “आह्ह्ह मैडम अह्ह्ह्ह मेरा झड़ने वाला है तेरी गरम चूत का कमाल है” विनोद ने दरवाजे के पास से ये सब देखा – उसका मुँह खुला रह गया, लैंड पैंट में तंबू बना रहा था। वो गुस्से में था, पर माँ का नंगा बदन देख के उसका जोश भी बढ़ गया। माँ ने अचानक विनोद को देखा – वो घबरा गई, जल्दी से साड़ी नीचे की, और टेबल से उतर के जाने लगी, “करण, बस – कोई आ गया!”

विनोद ने माँ को रोका, “रुक जा, रांड – मैं सब देख लिया! ये क्या गंदा काम कर रही है इंस्टिट्यूट में? मैं प्रिंसिपल और पुलिस को शिकायत करुँगा!” माँ का चेहरा सफ़ेद पड़ गया – वो डर गई, पर उनकी निम्फो नेचर शायद इस स्थिति में भी मजा ढूंढ रही थी। वो बोली, “प्लीज, विनोद जी, ऐसा मत करिए – मेरी नौकरी चली जाएगी, मेरा बेटा भूखा मर जाएगा!” उनकी साड़ी सरकी हुई थी, चुचियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थी – विनोद का लंड और खड़ा हो गया। करण चुपके से साइड में खड़ा था, शायद डर के मारे।

विनोद ने घमंडी मुस्कान दी, “रंडी कहीं की, तू यहां लड़कों से चुदती है – तेरी औकात एक रंडी की है! मैं शिकायत नहीं करुंगा, अगर तू मेरे साथ भी वही करे जो इस लड़के के साथ कर रही थी!” माँ ने नखरा दिखाया, “देखो जी, ये गलत है – मैं एक शादी-शुदा औरत हूँ, प्लीज़ मुझे छोड़ दो!”।

विनोद बोला साली शादीशुदा है फिर भी बेटे की उम्र के लड़के अपनी चूत मरवा रही है तुझको मेरे जैसा कोई मर्द शांत कर सकता है।

पर उनकी चूत गीली थी – वो दर्द और चुदाई के लिए तड़प रही थी। विनोद ने उनका हाथ पकड़ा, “चुप साली, अब तू मेरी रंडी है – वरना तेरी नौकरी और इज्जत दोनों जायेगी!” माँ ने थोड़ी देर विरोध किया, “नहीं, मैं ये नहीं करूंगी – मुझे शर्म आती है!” पर उनकी आंखें बोल रही थीं कि वो चुदाई के लिए तैयार हो रही हैं।

माँ ने आख़िर में जंगली मुस्कान दी, “ठीक है, विनोद जी – जो तुम बोलो, मैं करूंगी, पर जल्दी करो!” करण को विनोद ने बोला, “निकल यहाँ से, लड़के – अब इसकी चुदाई मैं करूँगा!” करण चुपके से निकल गया, और विनोद ने स्टोर रूम का दरवाजा बंद कर दिया। माँ की साड़ी फिर से सरकी – उनकी चुचियाँ नंगी, चूत गीली – और वो विनोद के सामने खड़ी थी, एक निम्फ़ो रंडी की तरह।

विनोद ने माँ को स्टडी टेबल पर बिठाया – उनकी चूचियाँ लटक रही थी, बदन गरम था।

विनोद माँ के होठों की और बढ़ा या अपने होठों पर रख कर उनका रसपान करने लगा। माँ उसे दूर करने की कोशिश कर रही थी मगर विनोद बहुत ताकतवर था कि उसने अपनी बाहों में माँ को भर लिया और अपने लंड वाले की चूत पर घिसने लगा, साथ ही वह अपना हाथ माँ के ब्लाउज के अन्दर लेकर गया और उसके स्तनों को जोर से दबाने लगा।

माँ दर्द में कर रही थी मगर विनोद को बिल्कुल भी रहम नहीं आया उसने अपना दूसरा हाथ माँ की चूत के मुँह पर लगा दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा। मेरी माँ सिस्कारिया ले रही थी और अपनी चूत विनोद की उंगली के आगे दे रही थी। विनोद की मोती उंगली से मां का पानी निकल गया था।

अब विक्रम ने अपना पायजामा उतारा – उसका लंड 8 इंच का, मोटा, सुपाड़ा लाल और तन हुआ – माँ के चेहरे के सामने हिलाया, “मोहिनी, इसको चूस – मेरी रंडी, अपना मुँह खोल!” माँ ने नखरा दिखाया, “ये गंदा है – मैं तेरा लंड नहीं चुनूंगी!” पर उनकी चूत से रस टपक रहा था – वो दर्द का मजा चाहती थी। विनोद ने उनके बाल पकड़ लिए – ज़मीन उनके होठों पर रगड़ा – और बोला, “चुप कुतिया, माई जो बोलूंगा वो कर नहीं तो…!”

माँ ने अपना मुँह खोला – विनोद का लंड पूरा गले तक घुस गया। माँ ने सबसे पहले विनोद के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रखा या चूस कर गीला कर दिया। धीरे धीरे अब माँ ने पूरा लैंड अपने गले तक भर लिया था। विनोद ने भी अपने हाथ को माँ के सर पर लगाया और उनके मुँह को चोदने लगा – वो सिसकियाँ ले रही थी, “आह, विनोद, तेरा लंड मेरे मुँह में दर्द दे रहा है – और ज़ोर से पेल!” विनोद ने उनके बाल खींच के लंड और अन्दर घुसा दिया, “चूस रंडी – तेरा मुँह मेरी चूत का गुलाम है!” माँ ने तेजी से जमीन चूसी – थूक उनके होठों से तप रहा था, आँखें चमक रही थी। वो 10 मिनट तक चुस्ती रही – विनोद ने उनके मुँह को चोदा, “वाह छिनाल, तू एकदम मस्त है – अब तेरी चूत का नंबर है!”

विनोद ने माँ को टेबल पर उल्टा लिटाया – उनकी मोटी गांड हवा में थी, चूत गीली और खुली। उसने माँ की साड़ी पूरा उतार दी – उनकी चुचियाँ टेबल पर दब रही थी, गांड चमक रही थी। माँ ने नखरा दिखाया, “कुत्ते, धीरे कर – मेरी चूत को दर्द नहीं चाहिए!” पर ये झूठ था – उनकी निम्फो नेचर दर्द के लिए तड़प रही थी। विनोद ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा – लाल निशान बन गया – और बोला, “चुप साली जब से तुझे नीचे देखा तब से सोच रहा था कि कश तू मिल जाती है। और देख यहां तेरी जबरदस्त चुदाई कर रा हू। अह्ह्ह्ह तेरी गरम चूत है एक दम साली। अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह” उसने अपना 8 इंच का लंड चुत पे रखा – एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा लंड अंदर घुस गया।

माँ चीख उठी, “आह, विनोद, मेरी चूत फट गई – धीरे कर!” पर उनकी गाल भूल की थी – वो दर्द में ख़ुशी पा रही थी। विनोद ने तेजी से चोदना शुरू किया – हर धक्का क्रूर, थप-थप-थप की आवाज स्टोर रूम में गूंज रही थी। माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, कुत्ते और ज़ोर से कह्ह्ह आआआ ह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह उफफफ्फ़ मोटा लंड है तेरा अह्ह्ह्ह मर्द है तू अह्ह्ह्हह्ह” विनोद ने उनकी गांड पे थप्पड़ मारे – लाल निशान बन गये – और बोला, “रंडी, तेरी चूत एकदम टाइट है – इसको भोसड़ा बनाउंगा! मजा ले बस साली रांड” माँ ने जंगली मुस्कान दी, “हां कुत्ता, मेरी चूत तेरा लंड खा रही है – चोद मुझे!

विनोद ने मां को 30 मिनट तक अलग-अलग पोजिशन में चोदा – हर पोजिशन रफ, दर्द भरी, और मां की निम्फ़ो नेचर के लिए परफेक्ट। पहले उन्हें मां को टेबल पर ही मिशनरी में चोदा – उनकी टांगें चौदी, चुचियां उछल रही थीं। माँ बोली, “आअहह अह्ह्ह्ह, मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है – और ज़ोर से!” विनोद ने उनको चूचे नोच दिये – निपल्स लाल हो गये – और 10 मिनट तक चोदा। फिर उन्हें माँ को घोड़ी बनाया – उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, बाल खींच के चोदा – माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, विनोद, मेरी गांड दर्द दे रही है – पर मजा आ रहा है!”

आख़िर में, विनोद ने माँ को टेबल पे उठाया – उनकी टांगें अपने कंधों पर राखी – और तेजी से चोदा। इस पोजीशन में लंड इतना गहरा हो गया कि माँ को बहुत दर्द हुआ – वो रो पड़ी, “आह, हरामी, मेरी चूत फट गई – बस कर, ये दर्द ज़्यादा है!” पर उनकी आँखों में भी एक मर्दवादी मजा था। विनोद ने बोला, “रंडी, रोने से नहीं रुकूँगा – तेरी चूत मेरा माल लेगा!” उसने तेजी बढ़ा दी – थप-थप-थप की आवाज गूँज रही थी – और 30 मिनट के बाद अपनी गरम माल माँ की चूत में छोड़ दिया – रस इतना था कि उसकी चूत से तपाक-तपाक के टेबल पर गिर गया।

मां टेबल पर थक के गिर पड़ी – बदन पसीना और रस से गीला, चुचियां लाल, गांड पर थप्पड़ों के निशान, चूत रस और माल से भारी। वो रो रही थी – अत्यधिक दर्द ने उन्हें रुला दिया – पर चेहरे पे एक संतुष्ट, निम्फ़ो मुस्कान भी थी। विनोद ने अपने कपड़े पहने, बोला, “चिनार, तू एकदम मस्त रंडी है – मैं शिकायत नहीं करूंगा, पर फिर मिलना!” माँ ने हाँफते हुए बोला, “हा रे, तेरा लंड से तो मैं तृप्त हो गई – पर अगली बार इतना दर्द मत देना!” वो साड़ी लपेटी – फटी हुई, गंदी – और क्लासरूम में वापस चली गई।

में संस्थान में नहीं था, पर बाद में वॉचमेन ने मुझे बताया कि एक आदमी ने माँ को स्टोर रूम में छोड़ा।

Audio or text Story for this web site : https://dailytoon.in/

Daily New Web series for this website : https://indiandesihd.com/

Daily New Desi Indian Sex videos : https://desivideo49.in/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

October

27

2025

हेलो दोस्तो, मेरा नाम शिल्पी है और मेरी उम्र जब 21 साल थी तब मैं 11वी – 12वी तक अपने बायफ्रेंड राकी के साथ बहुत ज्यादा सेक्स करती थी और...

October

27

2025

हेलो दोस्तो मेरा नाम शिल्पी है और अब मैं 28 की हूं और अब मेरी भिगड बढ़ गई है राकी और समीर की वजह से अब मेरे बूब्स 36 के...

October

27

2025

सुबह दोनों बायफ्रेंड से हाथ मिलाया और अपने भाई को बोलें दोनों मेरे दोस्त हैं तो राकी को तो भाई पहले से जानता था पर समीर को नहीं फिर 10...