मेरा एक फ्रेंड है विराज करके, उसके घर आनाजाना चलता था, विराज की माँ गुजरे हुये कुछ साल ही हुए थे, अब विराज के घर विराज ओर उसके डैडी ही थे.
मेरा विराज के घर आना विराज के डैडी को अछा लगता था, मैं कभी विराज के घर जाता तो कभी कभी विराज घर नही होता था, लेकिन विराज के डैडी मेरे साथ बाते करते चाय पिलाते. कभी कभी तो विराज के डैडी मुझे इधर उधर हाथ भी लगाते थे लेकिन मैं कुछ नही कहता.
असल में मुझे ऐसा लगता था के काश में लड़की होती,
कभी मैं किसी हैंडसम या मैच्योर आदमी को देखता था तब उसे छूने का, किस करने का मन करता था. उस वक्त मेरी गांड़ में हमेशा कुछ सिलसिली होती, मैं चाहता था के कोई मेरी ले. मैं तुरंत ही घर आता बाथरूम में जाके अपनी गांड़ में हेयर कोम की पिछली दंडी घुसा के मास्टरबिट करता, हा और एक बात मेरा लंड कभी खड़ा ही नहीं होता, मेरे लंड के और गांड़ के होल के बीच और एक दरार थी, जो दिखने में योनि जैसी थी. याने हर्मफ्रोडाइट था, उसमे जेंट्स को भी योनि होती है. याने मैं था बाहर से आदमी लेकिन मेरी शरीर रचना लड़कियों की थी, ओर तब मुझे पता चला के मैं एक किन्नर हु.
खैर तो आगे बढ़ते है.
असल में हुआ ये के विराज प्रोजेक्ट वर्क के लिए दो दिन बाहर जाने वाला था, मैने ही उसका सामान पैक किया दोपहर को उसके घर जाके, तब उसके डैडी भी थे.
विराज थोड़ा टेंशन में था के डैडी अकेले कैसे रहेंगे, तभी मैंने ही उसे कहा के तुम टेंशन ना लो, मै आजाऊंगा रात को तेरे घर तभी विराज के डैडी ने भी मेरी तरफ देखा.
उसी शाम को ऐसा हुआ मै किसी शॉप में खरीदारी करने विराज के इधर ही गया था, शाम का समय था विराज के डैडी नाके पे उनके दोस्तो के साथ थे, मेरी नजर गई विराज के डैडी के और वो घूर घूर के किसी दूसरी औरत को देख रहे थे, वहा आने जाने वाली हर औरत को ऊपर से नीचे स्कैन कर रहे थे अपनी कामुक नजर से. उसी वक्त विराज के डैडी का भी ध्यान गया मेरी तरफ वो भी थोड़े हिचकीचाये शर्म से लेकिन मैने भी उनकी ओर स्माइल दिया और चला गया. मै घर आया मुझे रहा नही गया, मैने हेयर कोम लिया बाथरूम में जाके अपनी गांड़ में घुसाने लगा, तभी मेरा दूसरा हात मेरी उस छेद में गया. मैने वोही हेयर कोम लिया जो मेरे लंड और गांड़ के बीच में होल था उसमे घुसाया मुझे बड़ा मजा आने लगा, ऐसा लगा जैसे मानो वो चुत ही है. मैं थोड़ी देर के बाद तुरत बाहर आया और मेल हर्मफ्रोडाइट के वीडियो देखे तब मुझे समझा के ये और कुछ नही चुत ही है, कुछ नॉलेज वाले वीडियो देखे फिर कुछ छुड़ाई के वीडियो भी देखे जिसमे एक आदमी दूसरे आदमी की चुत चोद रहा है. अब मुझे रहा नही गया, मैने सोचा जाता hu ओर उसके पापा को उत्तेजित करता हु, लेकिन मन में एक दर भी था अगर वो वैसे नही निकले तो. अब करीब शाम के सात बज गए थे.
वैसे वो भी क्या करते, साठ की उम्र उपरसे पत्नी का देहांत हो गया था उनका, विराज तो मेरे साथ कॉलेज में और वो घर अकेले ही रह ते थे.
मैने ऐसे ही करीब एक कॉल किया विराज के घर, कहा के मैं साडे नौ तक आऊंगा, विराज के डैडी ने भी हा कह दी. अब सात बजे थे, घर बोला के आज विराज नही है तो मैं उसके घर ही रहूंगा, तभी मेरे मम्मी ने कहा ये सब्ज़ी और श्रीखंड भी लेके जाना विराज के डैडी के लिए. मै विराज के घर गया. मैने भी खाना खाया और विराज के घर चल दिया.
अब साडे नौ बजे थे.
जाते वक्त बारिश हुई, मैं काफी भीग गया. विराज के घर जाते ही ही मैने उसके डैडी को सब्जी और श्रीखंड का डब्बा दिया. तभी विराज के डैडी ने कहा “अरे मेरा खाना तो होगया, खैर अब तुमने लाया ही है तो बाद में खा लेंगे थोड़ा”
मुझे भीगा हुआ देख के विराज के डैडी ने कहा “थोड़ी चाय पियोगे, मैं चाय बनाता हु” मैने कहा “हा जी चलेगा” विराज के डैडी ने कहा “तुम काफी भीगे हो, अपना सर बदन पोहिचो नही तो सर्दी हो जायेगी तब तक मैं चाय बनाता हु”
विराज का घर याने एक हॉल, बेडरूम और किचन ऐसा था, में बेडरूम में गया, मैने देखा तो बेडरूम के सामने किचन था, दोनो के बीच बाथरूम था ओर बाए तरफ हॉल.
उसका फ्लैट टॉप फ्लोर पे था और आजू बाजू कुछ नही था. मैने बेडरूम में जाके लाइट ऑफ किया लेकिन दरवाजा बंद करना भूल गया, मैने मेरा शर्ट उतरा पेंट उतारी पूरा नंगा होके बदन पोंछ ने लगा. मैने हल्का सा दरवाजा बंद किया और जान बूझ के बाजुका ग्लास किराया ताके विराज के डैडी का ध्यान मेरी तरफ जाए.
तभी मैंने तिर्की नजर से देखा तो विराज के डैडी चाय बनाते बनाते अंदर ही देख रहे थे, मैं हल्का सा घुमा ताके मेरे बड़े हुवे स्तन उनको दिकायी दे. डीम लाइट था, तभी विराज के
डैडी अंदर आए, मैने हड़बड़ा ते हुवे मेरे स्तनों को ढका और उल्टा खड़ा हो गया. उन्होंने कहा चाय तयार है.
मैं नॉर्मल कपड़े पहन के बाहर गया, सोफा पे हम थे, चाय पीते पीते बाते करने लगे. अचानक बिजली चली गई लेकिन घर में इन्वर्टर था. बातो बातो में विराज के डैडी ने उनके पत्नी का विषय छेड दिया और इमोशनल हो गए.
तभी मैं उनके पास गया और उनको सहलाने लगा. सहलाते समय विराज के डैडी ने उनका हाथ मेरे गालों पे रखा और मेरे होठों पे चूमा और कहा “तुम्हे देख के मुझे कुछ हो रहा है, आज मैं अकेला पन महसूस कर रहा हु”
मैने कहा “अंकल ऐसा कुछ मत समझो, आज मैं हु आप के साथ” विराज के डैडी ने कहा “हा लेकिन कुछ कमियां है वो कैसे पूरे करे” मैने कहा “अंकल, मैं जानता हु आप को क्या चाहिए, जो आपकी नजरोसे मैं समझ चुका हु, मैं आप को वो सब दूंगा लेकिन ये बात सिर्फ हमारे बीच में रहनी चाहिए” बातो बातो में कब साडे ग्यारह बज गए हमे पता भी नही चला. मैने कहा “अंकल, आज में आप को पत्नी सुख दूंगी लेकिन मुझे उसके लिए कुछ चीजों की जरूरत रहेगी” विराज के डैडी ने कहा “कोंसी” मैने कहा “मुझे स्त्रियों के कपड़े चाहिए साड़ी इत्यादि” उन्होंने तुरंत ही कहा
“आओ, बेडरुम में लेके गए, एक अलमारी खोली उसमे सब उनकी पत्नी के कपड़े थे, वो दिलाए” फिर मैने कहा “अब साडे ग्यारह बजे है, आप बारा बजे मै आप को मिलता हु, तब तक आप टीवी देखो आप का मोबाइल आप के पास रखो मैं जैसे ही तयार होता हु आप को कॉल करूंगा” विराज के डैडी ने भी हा कर दी.
मैने विराज के मां की ब्रा, ब्लाउज़ और साड़ी पहनी, लिपस्टिक लगाया, नेलपॉलिश लगाया,
आते वक्त मैने रांगिन चुडिया लायी थी वो पेहनी साथ ही मे मैने लंबे बालोवाला हेअर विग भी लाया था वो भी पहना, बिंदी लगाई, सिर पे घूंघट लिया जैसे के मैं एक नई नवेली दुल्हन लगु.
फिर मैने मोबाइल से कॉल किया विराज के डैडी को कहा
“सुनो मैं जो बोलता हु वोही करो, खाली किचन का लाइट चालू रखो बाकी सब लाइट बंद करो, बाकी जितने डीम लाइट है वोही चालू रखो और आप इस्तरफ के सोफा चेयर पे बैठ जाओ” उन्होंने वैसा ही किया.
फिर मैं किचन में गया, एक कप चाय ली और बाहर के रूम में चला गया. अब विराज के डैडी मेरे सामने बैठे थे. मैने चाय का कप टेबल पे रखा और पीछे दीवार को सटेक कर खड़ा हवा. मैने ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी थी उसके उभारों को देख के विराज के पिताजी खड़े हो गए और आगाये मेरे पास और कहा “अरे कदंब तू तो एक दम औरत ही दिख रहा है”
मैने कहा “अंकल पहले आप मुझे नाम से बुलाना बंद करो और कोई भी औरत का नाम दो मुझे”
फिर अंकल ने कहा “ठीक है फिर तुम्हारा नाम आज कादंबरी होगा, जो मेरी बीबी का नाम था”
तुरंत ही हम लोग बेडरूम में गए, उन्होंने अपने पूरे कपड़े उतारे और नंगे हो गए, उनका बड़ा लंड देख के मैं हैरान हो गया. फिर उन्होंने मेरा घूंघट उतारा, मेरे ब्लाउज खोले, ऊपर मेरे मम्मे दबाने चूसने लगे और किस किया. जब मेरी साड़ी उतारी तो पूरे तरह हैरान हो गए. मैने कहा “सुनो जी, डरो मत, असल मैं एक किन्नर हु, कृपया यह बात किसी से न कहे”
डैडी ने तुरत ही कहा “नही आज से तू किन्नर नही मेरी बीबी है” उन्होंने मुझे लिटाया मेरे लंड और गांड़ के होल के बीच में जो योनि जैसा होल था उसमे अपना लंड घुसके खुदाई करने लगे. थोड़ी ही देर में उनका पानी निकल गया.
फिर हम वैसे ही सो गए.
दो तीन घंटों के बाद अंकल का फिर से मूड हुआ।
अब रात के ४ बजे थे।
मैने कहा “क्या हम थोड़ी चाय पियेंगे”
अंकल ने कहा “हां क्यों नहीं? जरूर”
हम किचन में गए एक बार चाय पी।
अब उनका इरादा मेरी गांड मारने का था, यह मुझे मालूम था। आज पहली बार मै मेरी गांड वो भी सुबह चार बजे चुदवाके लेने वाला था।
अंकल ने चाय पीते वक्त फिर से एक बार मेरी गांड हात रख कर मेरी गेंद को सहलाने लगे।
मै थोड़ी देर रुक गया मैने कहा “रुको अंकल”
अंकल ने कहा “कहो क्या हुआ”
मैने कहा “शादी के बिना औरत अधूरी है”
अंकल ने कहा “हां, तो कहो, क्या करे”
मैंने कहा “अंकल आप मुझसे शादी करोगे?”
अंकल ने कहा – “मैं तुम्हें अपनी धर्मपत्नी स्वीकारता हूँ।”
फिर अंकल ने सिंदुर की डीबी लाई और
मेरी मांग में उन्होंने सिन्दूर भरा और फिर कहा
“अब तुम मेरी धर्मपत्नी हो, तुम्हें पत्नी का धर्म निभाना होगा।”
फिर हम बेडरूम गए। अब हम बेड पर थे। पहले हम एक दूसरे का चूसते रहे फिर मैने अंकल का लंड मुंह में लेके उनको और उत्तेजित किया।
फिर अंकल ने मुझे घुमाया।
अंकल ने कहा “अब उल्टे हो जाओ, यह तकिया मुँह में रखो और कुतिया बन जाओ!”
मैं कुतिया बन गया। फिर अंकल ने अपने लंड पर ठुक लगाई, साथ ही में मेरी गांड के होल में धुक के मेरी गांड चिपचिपा कर दी।
एक झटका दिया मै दर्द से चिल्लाई। फिर उहोंने तेल लाया मेरी गेंद में तेल डाल के मेरी गांड और भी
चिपचिपा कर दिया।
मैंने जैसे ही तकिया मुँह में लिया, अंकल ने अपना लंड पूरे का पूरा एक बार में मेरी गांड में घुसा दिया।
मैं दर्द से बिलबिला उठा, तकिये के कारण चिल्ला नहीं सका। अंकल ने धीरे धीरे मेरी गांड मारनी शुरू की।
हम डॉगी स्टाइल में चुदाई कर रहे थे।
थोड़ी ही देर में मुझे मजा आने लगा। अब अंकल ही मेरे पति थे, हां जी, मेरे पति ने अपनी रफ़्तार फुल कर दी।
मुझे दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी आने लगा।
अंकल ने अपनी रफ्तार बढ़ाकर अचानक रुक गए और अपने श्री का भार पूरी तरह मेरे ऊपर डाल दिया।
और थोड़ी देर में मेरी गांड में झड़ गया।
अंकल का वीर्य मेरी गांड में घुस रहा था। उनके वीर्य का
चिपचिपा वीर्य मेरी गांड में मै महसूस कर रहा था।
मैं भी थक कर नीचे गिर गई। फिर मै और अंकल हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
सुबह मेरी नींद देर से खुली और मैंने देखा कि मेरे पति याने विराज के पापा जिनको मै अंकल कहता हु। वो मेरे बाजू में सो रहे थे। मैंने कपड़े बदले और फ़िर सो गया।
थोड़ी ही देर में मैं मेरे घर आया।
इस तरह से मेरे दोस्त विराज के डैड ने मुझे पूरे तरह अपनी पत्नी बनाया.
उसके बाद हम जब जब मिलते तो हम पतिपत्नी जैसे ही रहते।
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