नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सब? उम्मीद करता हूं आप सब एकदम मस्त होंगे, अपनी जमीन या चूत के साथ खेलते हुए, तैयार एक गंदी और गरम कहानी के लिए जो दिल और बदन दोनों को हिला देगी! ये कहानी मेरी, मेरी मम्मी, पापा और एक मोती भाभी के बारे में है, जिसके साथ कुंभ मेले के दौरन एक ऐसा खेल हुआ कि मेरी जिंदगी बदल गई! मैं हूं अंकुर, 22 साल का जवान लड़का, और ये कहानी मेरी आंखों से देखी और बदन से महसूस की हुई है – हर एक दोस्त को डिटेल में लिख रहा हूं, तो तैयार हो जाओ!
हुआ ये कि मम्मी और पापा ने फैसला किया कि हम कुंभ मेला घूमने जाएंगे-प्रयागराज में, जहां हर साल लाखो लोग पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं। चाचा की पत्नी, मतलब भाभी, वहां रहती थी, और उन्हें हमने अपने घर रुकने को बोला। मम्मी ने भाभी से फोन पर बात की, “अरे रेखा, हम लोग आ रहे हैं – तुम्हारे घर रुकेंगे, ठीक है?” भाभी ने ख़ुशी से हाँ बोली, “आओ ना, बड़ा मज़ा आएगा – कुम्भ में साथ में नहाएँगे!” तो हमने ट्रेन बुक की – मम्मी, पापा, और मैं – और प्रयागराज के लिए निकल पड़े।
ट्रेन का सफर लंबा था – 17 घंटे का – और हम तीनो एक स्लीपर कोच में बैठे थे। मम्मी और पापा बातें कर रहे थे, और मैं अपने फोन पर गेम खेल रहा था। रात भर सफर के बाद हम सुबह प्रयागराज पहुंच गए। स्टेशन पे भाभी और उनके पति, मतलब भैया, हमें लेने आये थे। भैया एक साधारण आदमी थे – 35 साल के, ऑफिस की नौकरी करते थे – और भाभी, रेखा, एकदम अलग थी। भाभी की हाइट 5’3” थी, थोड़ी मोटी थी, पर उनका बदन एकदुम भरा हुआ – बड़े-बड़े गोल चूचे, मोटी गांड, और एक गोरा चेहरा जिसकी एक शरारती सी मुस्कान थी। उन्हें एक टाइट कुर्ती और लेगिंग्स पहननी थी – कुर्ती से उनके चूचे उबर के बाहर आ रहे थे, और लेगिंग्स उनकी गांड को एकदम टाइट रैप कर रही थी। मैं उनको देखता ही रह गया – दिल में एक अजीब सी गर्मी चढ़ गई।
भैया ने हमें स्कूटी पर घर ले लिया – वो मम्मी और पापा को ले गए, और भाभी मेरे साथ पीछे बैठी। घर छोटा सा था – दो कमरे, एक हॉल, और एक बाथरूम – पर साफ-सुथरा। शाम तक हम लोग थक गए थे, तो घर पर ही आराम किया। भाभी ने हमें चाय बनाने दी, और बातें करते हुए बोली, “अंकुर, तुम तो जवान हो गए हो – कुंभ में मजा आएगा!” मैं मुस्कुरा के बोला, “भाभी, आपके साथ तो डबल मजा आएगा!” वो हँसी और बोली, “बदमाश लड़का – देखती हूँ कितना मज़ा कर पता है!”
शाम को भैया और भाभी ने हमें कुंभ लेके जाने का प्लान बनाया। रात का वक़्त था – संगम के किनारे लोगों की भीड़, पवित्र पानी में डुबकियाँ, और ठंडी हवा। भाभी ने एक टाइट शर्ट और जींस पहनी थी – शर्ट से उनके चुचे एकदुम उबर रहे थे, और जींस उनकी मोटी गांड को और सेक्सी बन रही थी। हम लोग स्कूटी पी गए – भैया ने एक स्कूटी ली, पापा और मम्मी उसपे, और मैं दूसरी स्कूटी चला रहा था, भाभी मेरे पीछे बैठी थी। ठंडी रात थी, और भाभी बोली, “अंकुर, मुझे सर्दी लग रही है – थोड़ा सा बैठूँ?” मैं बोला, “भाभी, आप जितना सोना चाहो बैठ जाओ – मैं तो खुश ही हूँ!”
भाभी मेरे पीछे चिपक के बैठ गई – उनकी मोटी चुचियाँ मेरी पीठ पर दब रही थी, एकदम गरम और नरम। मेरा लैंड पैंट में खड़ा होने लगा – मैं जान बूझ के ब्रेक लगा रहा था ताकि उनके चुचे और ज़ोर से मेरी पीठ पे दब जाये। हर ब्रेक पे भाभी थोड़ी आगे खिसक जाती थी, और उनकी चुचियों का दबाव बढ़ जाता था – मैं तो मजा ले रहा था! भाभी समझ गई – वो चुप रही, पर एक बार धीरे से बोली, “अंकुर, तू बड़ा शैतान है – ब्रेक कम लगा वरना मेरी चुचियाँ तेरी पीठ में घुस जाएँगी!” मैं हंसा और बोला, “भाभी, घुसने दो – मजा तो आ रहा है ना?” वो बोली, “चुप कर, बदमाश – अब सीधा चलाओ!”
कुंभ पाहुंच के हमने संगम में नहाय। भाभी नहाने के बाद एकदम सेक्सी लग रही थी – शर्ट गीला हो गया था, उनके चूचे और निपल्स साफ दिख रहे थे, और जींस उनकी गांड से चिपक गई थी। मैं उनको घूरता रहा – दिल में आग लग रही थी। नहाने के बाद हम वापस घर आये – सब थक गये थे, पर भाभी की वो गीली शर्ट मेरी आँखों के सामने से हट नहीं रही थी।
रात में हमने खाना खाया – भाभी ने गरम-गरम रोटी और सब्जी बनाई थी। खाने के बाद मम्मी और पापा बातें करते-करते थक गए और बोले, “हम लोग सो जाते हैं – कल सुबह वापस नहने जाना है।” वो हॉल में सो गए – एक बिस्तर पे। मैं, भैया, और भाभी बाकी रहे – हमने कार्ड खेलने का प्लान बनाया। तीन पत्ती खेल रहे थे – भाभी मेरे सामने बैठी थी, अभी भी वही टाइट शर्ट पहने हुए थे, और उनके चुचे हर बार झुकने पे उबर के दिख रहे थे। मैं उनको घूरता रहा – भाभी ने मुझे एक बार आंख मारी और बोली, “अंकुर, कार्ड्स पर ध्यान दे – मेरी तरफ क्यों घूर रहा है?” मैं बोला, “भाभी, कार्ड्स से ज्यादा मजा तो आप में है!”
थोड़ी देर खेलने के बाद भैया बोले, “कल ऑफिस है – अब सो जाते हैं। अंकुर, तू भी सो जा।” भैया और भाभी अपने कमरे में चले गए – मुख्य हॉल में बिस्तार पे लेता रहा, पर नींद नहीं आ रही थी। भाभी की वो गीली शर्ट और स्कूटी पर उनके चूचे का दबाव मेरे दिमाग में घूम रहा था – मेरा लंड खड़ा था, और मैं सोच रहा था कि काश कुछ हो जाए! थोड़ी देर बाद मुझे बाथरूम जाना था – मैं उठा, और भाभी के कमरे के पास से गुज़रा। उनका दरवाजा हल्का सा खुला था – मैं रुक गया, अंदर झाँका, और जो देखा उसने मेरी सांसें रोक दी!
भाभी भैया के लंड की सवारी कर रही थी – उनकी पीठ मेरी तरफ थी, वो नंगी थी, और उनकी मोटी गांड उछल-उछल के भैया के लंड पर बैठ रही थी। भैया बेड पे लेते हुए थे, उनका लंड थोड़ा सा ही खड़ा था – भाभी बोली, “आह, थोड़ी देर और चलो – मेरी चूत अभी भी भूखी है!” पर तभी भैया का माल निकल गया – वो हांफते हुए बोले, “सॉरी रेखा, हो गया!” भाभी गुस्से में बोली, “छी, हर बार जल्दी झड़ जाते हो बिना बताए – और फिर तुम्हारा लंड भी खड़ा नहीं होगा अभी आधे घंटे तक! मैं क्या करूं अब?” भैया चुप चाप सो गए – भाभी तुरंट मुड़ी, और उन्होंने मुझे देख लिया – मैं दरवाजे पर खड़ा था, आंखें फाड़ के सब देख रहा था। मैं झट से बाथरूम में घुस गया – दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था!
बाथरूम से वापस आया तो देखा भाभी बाहर हॉल में बिस्तर पर बैठी थी – एक नाइटी पहने हुए, जो उनके चूचे और गांड को थोड़ा सा ही छुपा रही थी। मैं उनके पास गया, थोड़ा घबरा गया, और बोला, “भाभी, वो मैं… सॉरी, मैंने जान शराब के नहीं देखा!” भाभी ने गुस्से और शरारत से मुझे देखा, “तुमने सब देखा तो लिया ही है – अब क्यों पूछ रहे हो? क्या चाहिए तुम्हें?” मैं थोड़ी हिम्मत जूता के बोला, “भाभी, मैं मदद कर सकता हूँ – जो भैया नहीं कर पाये, वो मैं पूरा कर दूँ?” भाभी एक मिनट चुप रही, फिर एक गन्दी मुस्कान दी और बोली, “तू बड़ा बदमाश है अंकुर – चल, दिखा क्या कर सकता है!”
मैं झट से भाभी के पास गया, उनको बिस्तर पर लिटाया, और उनके होठों पे किस करना शुरू किया – एक गीली, गरम किस। भाभी बोली, “आह, अंकुर, तू तो पूरे जोश में है – मेरे होंठ चूस ले, पूरा रस निकाल दे!” मैं उनकी नाइटी ऊपर उठा दी – उनकी चुचियां नंगी थीं, बड़े, गोल, और निपल्स एकदम टाइट। मैं उनके चूचे दबाने लगा – ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा – और बोला, “भाभी, आपके चूचे तो एकदम मस्त हैं – इनको दबाने का मज़ा ही अलग है!” भाभी सिसकियाँ लेते हुए बोली, “आह, अंकुर, ज़ोर से दबाओ – मेरी चुचियों को नोच दो, इनमें आग लग रही है!”
भाभी ने मेरी पैंट खोली – मेरा लंड 7 इंच का, मोटा, और एकदुम तन हुआ – और बोली, “वाह अंकुर, तेरा लंड तो भैया से बड़ा है – इसको चुनने दो मुझे!” वो नीचे बैठ गई, मेरा लंड मुँह में ले लिया, और ब्लोजॉब शुरू किया – पहले सुपाड़े पे जीभ फेर के चाटा, फिर पूरा गले तक ले लिया। मैं बोला, “भाभी, आह्ह, क्या चूसती हो – मेरा लंड तो तेरी जीभ पर झड़ जाएगा!” भाभी ने थूक से लंड गीला किया, ज़ोर-ज़ोर से चूसा, और बोली, “अंकुर, तेरा लंड एकदम टेस्टी है – पूरा रस निकाल दूंगी!” उसने 5 मिनट तक चूसा – मेरा लंड पूरा गीला हो गया, और मैं सिसकियाँ ले रहा था, “भाभी, आह, पूरे मुँह में लो – तेरी जीब मेरी जान निकल रही है!”
फिर मैंने भाभी को लिटाया, उनकी रात पूरी उतार दी – उनकी चूत मोटी थी, थोड़ी सी झांटें, और एकदुम गीली। मैंने उनकी चूत पर मुँह रखा, जीभ से चाटना शुरू किया – भाभी चीख उठी, “आह, अंकुर, मेरी चूत को चाट – पूरा रस पी जा, भैया ने कभी नहीं किया ऐसा! आह्ह्ह्ह्ह” मैं उनकी चूत के दाने को मसलने लगा, जीभ अंदर-बाहर करने लगा – भाभी बोली, “आह, तू तो एक्सपर्ट है – मेरी चूत में आग लग रही है, और ज़ोर से चाट!” मुख्य 10 मिनट तक उनकी चूत चूसी – उनकी चूत से पानी टपक रहा था, और वो सिसकियाँ ले रही थी, “अंकुर, मेरी चूत को फाड़ दे – तेरा मुँह एकदम गरम है!”
मैं उठा, भाभी के जोड़ी चौड़ा किये, और अपना लंड उनकी चूत पर रखा। भाभी बोली, “अंकुर, डाल दे पूरा – मेरी चूत तेरी लंड की भूखी है!” मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया। भाभी की गाल निकल गई, “आह, अंकुर, मेरी चूत फट गई – कितना मोटा है तेरा लंड!” मैं उनके चूचे दबते हुए बोला, “भाभी, तेरी चूत तो एकदम टाइट है – इसको चोदने का मजा ही अलग है!” मैंने तेजी से धक्के मारने शुरू किये – हर धक्का इतना ज़ोर का बिस्तर हिलने लगा। भाभी बोली, “आह, अंकुर, और ज़ोर से पेलो – मेरी चूत को फाड़ दो, तेरा लंड मेरी जान निकल रहा है!” मैं उनके बाल पकड़ के बोला, “भाभी, तू तो एकदम रंडी है – तेरी चूत को पूरा भर दूंगा!” 15 मिनट तक मिशनरी में चोदा – भाभी की सिस्कारियां, थप-थप की आवाज, और उनके चूचे उछलते हुए – पूरा कमरा गूंज रहा था।
फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया – उनकी मोटी गांड हवा में थी, एकदम टाइट और चमक रही थी। मैंने पीछे से लंड उनकी चूत में पेल दिया – एक जोरदार धक्का – और भाभी चीख उठी, “आह, अंकुर, मेरी चूत के अंदर तक जा रहा है – और ज़ोर से ठोक!” मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा, “भाभी, तेरी गांड तो एकदम मस्त है – इसको भी चोद दूँ?” भाभी बोली, “चोद दे अंकुर, मेरी गांड भी तेरी है – पूरा बदन तेरा है!” मैंने थोड़ी सी थूक ली, उनकी गांड के छेद पे लगाई, और लंड घुसा दिया। भाभी की गाल निकल गई, “आह, मेरी गांड फट गई – धीरे कर, दर्द हो रहा है!” लेकिन मैंने उनकी कमर पकड़ ली, “भाभी, धीरे नहीं – तेरी गांड को फाड़ दूंगा!” मैंने तेजी से गांड चोदना शुरू किया – हर धक्का रफ, भाभी बोली, “आह, अंकुर, तू तो जानवर है – मेरी गांड में आग लग रही है, और ज़ोर से पेलो!”
फिर मैं बिस्तर पर लेटा, भाभी को अपना ऊपर बिठाया – मैंने बोला, “भाभी, अब तू मेरी सवारी कर!” भाभी ने मेरा लंड पकड़ा, अपनी चूत पर रखा, और धीरे से बैठ गई – पूरा लंड अंदर घुस गया। वो बोली, “आह, अंकुर, तेरा लंड मेरी चूत के अंदर तक घुस रहा है – कितना मजा आ रहा है!” वो उछल-उछल के चुदने लगी – उनकी मोटी गांड थप-थप करके मेरे लंड पर बैठ रही थी, चुचे उछल रहे थे। मैंने उनके चूचे पकड़ लिये, “भाभी, और ज़ोर से उछल – तेरी चूत मेरा लंड निगल रही है!” भाभी बोली, “आह, अंकुर, मेरी चूत तेरी दीवानी हो गई – पूरा लंड अंदर ले लूंगी!” 10 मिनट तक वो उछली – उनकी चूत से रस टपक रहा था, और वो चीख रही थी, “अंकुर, मेरी चूत झड़ रही है – तू भी झड़ दे!”
आख़िर में मैंने भाभी को नीचे बिठाया, उनके मुँह के सामने लंड रखा, और बोला, “भाभी, मेरा रस पी ले – तेरी चूत ने तो मेरी जान निकल दी!” भाभी ने मेरा लंड मुँह में लिया, ज़ोर-ज़ोर से चूसा – मैं उनके बाल पकड़ के बोला, “आह, भाभी, पूरा रस निकाल दो – तेरा मुँह एकदम गरम है!” थोड़ी देर बाद मेरा माल निकल गया – गरम रस भाभी के मुँह में भर गया, थोड़े सा उनके होठों पर टपक गया। भाभी बोली, “अंकुर, तेरा रस तो एकदम मीठा है – पूरा पी गई!” मैं हनफ्ता हुआ बोला, “भाभी, तू तो एकदुम चुदक्कड़ है – तेरा बदन एकदुम मस्त है!”
डोनो थक के बिस्तर पर गिर पड़े। भाभी बोली, “अंकुर, तू तो भैया से सौ गुना अच्छा चोदता है – मेरी चूत और गांड दोनों खुश हो गई!” मैं बोला, “भाभी, जब तक यहाँ हूँ, तेरी चूत का ख्याल रखूँगा!” वो हँसी और बोली, “कल रात फिर करेंगे – अब सो जा, वरना भैया उठ जायेंगे!” मैं अपने बिस्तर पे वापस गया, पर नींद नहीं आई – भाभी की मोटी गांड, चूचे, और उनकी चुदाई की आवाज मेरे दिमाग में घूम रही थी। सुबह मम्मी-पापा उठे, हम फिर कुंभ गए – पर मेरी नज़र भाभी पे थी, और उनकी आँखों में एक शरारती इशारा था कि “अगली रात फिर मज़ा लेंगे!”
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