नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सब? उम्मीद करता हूं आप सब होली के रंगो में डूबेंगे, अपनी जमीन या चूत के साथ मस्ती करते हुए, तैयार एक गंदी और गरम कहानी के लिए जो दिल को तड़प देगी और बदन में आग लगा देगी! ये कहानी मेरी और मेरी चाची, सरिता के बारे में है – 35 साल की उम्र, फिगर 40-32-42, बड़े-बड़े चूचे, मोटी गांड, और एक ऐसा बदन जो किसी के भी लंड को खड़ा कर दे! चाची के साथ मेरा रिश्ता पहले से ही गंदा था – मैं उनको एक बार चोद चुका था, और हमारी चुदाई से उनका एक बच्चा भी हुआ था, जो अब 2 साल का था।
लेकिन बच्चा होने के बाद चाची थोड़ी दूर हो गई थी – अपने बेटे में खुश रहती थी, मुझसे ज्यादा बात नहीं करती थी। पर होली के दिन मैंने उनके घर आकर उनकी चूत का रंग फिर से देख लिया – और ये कहानी उसी दिन की है!
हुआ ये कि मैं, अंकुर, 22 साल का जवान लड़का, होली के दिन अपना गांव गया था। मम्मी-पापा ने बोला, “अंकुर, चाचा-चाची के घर भी हो आना – होली साथ में खेलना!” चाचा एक सरकारी नौकरी में थे, और होली के दिन उनको ड्यूटी पर जाना था, तो घर पर सिर्फ चाची और उनका बच्चा रहने वाला था। मैं सुबह 10 बजे उनके घर पहुंचूं – होली का माहौल था, गलियों में लोग रंग फेंक रहे थे, भांग के नशे में नाच रहे थे, और हवा में होली का जोश था। मैं एक सफेद कुर्ता-पायजामा पहनता था, हाथ में गुलाल और थोड़ी भांग की गोली भी थी – मन में सोच रखा था कि चाची के साथ थोड़ी मस्ती करनी है।
चाची के घर पहुंच तो देखा वो चाट पे खड़ी थी – बच्चे को भगवान में लिए हुए, थोड़ा सा रंग लगा के खुद को छुपा रही थी। चाची ने एक सिंपल सी साड़ी पहनी थी – लाल रंग की, थोड़ी पुरानी, पर उनका फिगर उसमें एकदुम उबर रहा था। साड़ी का पल्लू उनके बड़े चूचों पर टिका हुआ था, और गांड साड़ी में एकदम टाइट दिख रही थी। मैं उनको देखता ही रह गया – दिल में वो पुराना वक्त याद आ गया जब मैंने उनकी चूत और गांड को अपने लंड से भर दिया था, और हमारी चुदाई से उनका बच्चा हुआ था। चाची ने मुझे देखा, थोड़ी सी मुस्कान दी, और बोली, “अंकुर, आ गया तू? होली मुबारक हो – इधर आ, रंग लगा दूं!” मैं चाट पर चढ़ गया, गुलाल हाथ में लिया, और उनके गाल पे लगाया, “चाची, होली मुबारक – तुम तो हर बार सेक्सी लगती हो!” वो शर्मा गई, “चुप कर, बदमाश – अभी बच्चा छोटा है, मैं ज्यादा खेल नहीं सकती!”
चाची ने बच्चे को थोड़ी देर चाट पे खेलने दिया – मैं भी थोड़ा रंग लगा के उनके साथ मस्ती करने लगा। गाँव के लड़कों ने मुझे बाहर बुलाया – हम लोग रंग, पिचकारी, और भांग के साथ होली खेलने लगे। मैं पूरा गीला हो गया – कुर्ता रंग से भर गया, और भांग का नशा भी चढ़ गया था। चाची थोड़ी देर बाद आला कमरे में चली गई – बच्चा छोटा था, शायद वो उसको सुलाने या खिलवाने गई थी। मैं भी बाहर से थक गया – रंग खेलते-खेलते मेरा जोश बढ़ गया था, और चाची को याद करके मेरा लंड पैंट में खड़ा हो गया। मैंने सोचा, “आज होली है – चाची के साथ थोड़ा रंग खेलना तो बनता है!”
मैं सीधा उनके कमरे में चला गया – दरवाजा खुला था, चाची अंदर बैठी थी, बच्चा एक छोटे से पालने में सो रहा था। चाची अभी भी वही लाल साड़ी में थी – थोड़ा सा रंग उनके चेहरे पे लगा था, और उनका पल्लू थोड़ा सा सरका हुआ था, जिसके उनके चूचे का उबर साफ दिख रहा था। मैं अंदर घुस गया, हाथ में गुलाल लिया, और बोला, “चाची, तुमने थोड़ी सी होली खेली – अब मेरी बारी है!” मैंने उनके गाल पे रंग लगाया, थोड़ा सा उनके बगीचे पे, और धीरे से उनके चूचों के ऊपर पल्लू पे भी रंग मल दिया। चाची घबरा गई, “अंकुर, ये क्या कर रहा है? बच्चा यहीं है – डर रह!” मैं थोड़ी भांग के नशे में था, उनके पास गया, और उनको किस करने की कोशिश की – अपने होठों उनके होठों के पास ले गया।
चाची ने मुझे दूर करने की कोशिश की, “अंकुर, नहीं – ये गलत है, अब मैं एक माँ हूँ!” लेकिन मेरा जोश बढ़ चुका था – मैं उनकी बात सुनने के मूड में नहीं था। मैंने उनको कस के पकड़ लिया – दोनों हाथों से उनकी कमर दबा ली – और उनको कमरे के दरवाज़े पे ढकेल दिया। दरवाज़ा उनकी पीठ से टकराया, और मैं उनके सामने खड़ा हो गया – मेरा लैंड पैंट में उछल रहा था। मैंने गुस्से और जोश में बोला, “चाची, काम हो गया तो भूल गई? मैंने तुझे पहले छोड़ा था, तुझे प्रेग्नेंट किया था – ये बच्चा मेरा है! अब होली के दिन तुझे फिर से चोदूंगा और एक बच्चा दूंगा – तू मेरी है!” चाची रोटी हुई बोली, “अंकुर, प्लीज मत कर – अब मैं शादी-शुदा हूं, मेरा बच्चा है – छोड़ दे मुझे!” पर मैंने उनकी एक ना सुनी – मैंने अपने होठों पर रख दिए और ज़ोर से चुंबन करना शुरू किया।
चाची पहले तो चटपटा रही थी – मुझे दूर ढकने की कोशिश कर रही थी – पर मेरी पकड़ इतनी टाइट थी कि वह हिल नहीं पा रही थी। मैंने उनको चुनने शुरू किया – एक गीली, गंदी किस – और उनकी सांसों को अपने अंदर खींचा। चाची बोलीं, “अंकुर, छोड़ दो – ये ग़लत है!” पर मैंने उनको बाल पकड़ लिया, “चाची, गलत कुछ नहीं – तू मेरी रंडी है, पहले भी चुदी थी, अब भी चुदेगी!” मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया – उनकी चुचियां ब्लाउज में कैद थी, बड़े, गोल और एकदम टाइट। मैंने ब्लाउज के ऊपर से उनके चूचे दबाने शुरू किये – ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा – और बोला, “चाची, तेरे चूचे तो अब भी मस्त हैं – इनको दबाने का मजा ही अलग है!” चाची सिसकियाँ लेते हुए बोलीं, “आह, अंकुर, मत कर – दर्द हो रहा है, बच्चा उठ जाएगा!” लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था – मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया, ब्रा ऊपर सरका दी – उनकी चुचियाँ आज़ाद हो गईं, निपल्स लाल और टाइट। मैंने उनको ज़ोर से दबाया, “चाची, तेरे चूचे मेरे हैं – इनको मसल-मसल के लाल कर दूंगा!”
चाची रोटी हुई बोली, “अंकुर, बस कर – मैं तेरी चाची हूँ!” मैंने उनके निपल्स नोच दिये, “चाची नहीं, तू मेरी रंडी है – अब तेरी चूत का नंबर है!” मैंने उनकी साड़ी ऊपर उठा दी – उनका पेटीकोट नीचे सरका दी – और उनकी चूत के पास हाथ ले गया। चाची की चूत थोड़ी गीली थी – शायद मेरी किस और दबाव से उनका बदन गरम हो गया था। वो बोली, “अंकुर, मत छू – मैं नहीं चाहती!” पर मैंने उनकी चूत पर उंगली फेर दी, “चाची, तेरी चूत तो बोल रही है कि तुझे लंड चाहिए – अब मैं तुझे चोदूंगा!”
मैंने चाची को दरवाजे से हटाकर कमरे के बिस्तर पर ढक दिया – बच्चा पालने में सो रहा था, और मैंने चाची को बिस्तर के किनारे पे लिटाया। उनकी साड़ी और पेटीकोट पूरा उतार दिया – अब वो नंगी थी, उनकी मोटी गांड और चूचे बिस्तर पर दिख रहे थे। चाची रोटी हुई बोली, “अंकुर, कृपया मत कर – मेरा बच्चा यहीं है!” मैंने अपनी पैंट उतारी – मेरा लंड 7 इंच का, मोटा, और एकदुम तन हुआ – और बोला, “चाची, बच्चा सो रहा है – अब तू मेरी आवाज सुनेगी!” मैंने उनको जोड़ा चौड़ा किया, अपना लैंड उनकी चूत पे रखा, और एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा लैंड अंदर घुस गया।
चाची की चीख निकल गई, “आह, अंकुर, मेरी चूत फट गई – बस कर, दर्द हो रहा है!” मैंने उनके चूचे पकड़ लिए, “चाची, तेरी चूत तो अब भी टाइट है – इसको चोदने का मजा ही अलग है!” मैंने तेजी से धक्के मारने शुरू किये – हर धक्का इतना ज़ोर का बिस्तर हिलने लगा। चाची सिसकियाँ ले रही थी, “आह, अंकुर, धीरे कर – मेरी चूत जल रही है, मैं नहीं सह सकती!” मैंने उनके बाल पकड़ के खीचा, “चाची, धीरे नहीं – तेरी चूत को फाड़ दूँगा, तू मेरी रंडी है!” मैंने 15 मिनट तक मिशनरी में चोदा – हर धक्का क्रूर, चाची की चीखें कमरे में गूँज रही थी, “अंकुर, मेरी चूत छोड़ दे – मैं मर जाऊँगी!” पर मैं बोला, “चाची, अभी तो शुरुआत है – तेरी चूत मेरा माल लेगी!”
फिर मैंने चाची को पलटा – उनको घोड़ी बनाया – उनकी मोटी गांड हवा में थी, एकदम टाइट और चमक रही थी। मैंने पीछे से लंड उनकी चूत में पेल दिया – एक ज़ोरदार धक्का – और चाची चीख उठी, “आह, अंकुर, मेरी चूत के अंदर तक जा रहा है – बस कर, रहम कर!” मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा, “चाची, तेरी गांड तो एकदम मस्त है – इसको भी चोद दूँ?” चाची रोटी हुई बोली, “नहीं अंकुर, मेरी गांड मत छू – मैं नहीं झेल सकती!” लेकिन मैंने थोड़ी सी थूक ली, उनकी गांड के छेद पे लगाई, और लंड घुसा दिया। चाची की गाल निकल गई, “आह, मेरी गांड फट गई – धीरे कर, मैं मर जाऊंगी!” मैंने उनकी कमर पकड़ ली, “चाची, तेरी गांड मेरी है – इसको फाड़ के हाय दम लूंगा!” मैंने तेजी से गांड चोदना शुरू किया – हर धक्का रफ, चाची बोली, “आह, अंकुर, तू जानवर है – मेरी गांड में आग लग रही है, बस कर!” मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला, “चाची, तेरी गांड का छेद अब मेरा है – इसको पूरा भर दूंगा!”
फिर मैं बिस्तर पर लेटा, चाची को आपने ऊपर खींच लिया – मैंने बोला, “चाची, अब तू मेरी सवारी कर!” चाची रोटी हुई बोली, “अंकुर, मैं थक गयी हूँ – बस कर!” पर मैंने उनको ज़ोर से खींचा, उनकी चूत पर लंड रखा, और बोला, “बैठ जा रंडी – तेरा बदन मेरा है!” चाची ने धीरे से मेरा लंड अपनी चूत में लिया – पूरा लंड अंदर घुस गया – और वो सिसकियाँ लेते हुए बोली, “आह, अंकुर, तेरा लंड मेरी चूत के अंदर तक घुस रहा है – दर्द हो रहा है!” मैंने उनके चूचे पकड़ लिये, “चाची, उछल – तेरी चूत मेरा लंड निगल रही है!” चाची थोड़ी देर उछली – उनकी मोटी गांड थप-थप करके मेरे लंड पर बैठ रही थी, चुचे उछल रहे थे। वो बोली, “आह, अंकुर, मेरी चूत टूट रही है – बस कर, मैं झड़ रही हूँ!” मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा, “झड़ जा चाची – तेरा रस मेरे लंड पे डाल दे!”
आख़िर में मैंने चाची को बिस्तर पर बिठाया – उनका मुँह मेरे लंड के सामने रखा – और बोला, “चाची, मेरा रस पी ले – तेरी चूत ने मेरी जान निकल दी!” चाची रोटी हुई बोली, “अंकुर, मत कर – मैं थक गयी हूँ!” पर मैंने उनको बाल पकड़ लिया, लंड उनके मुँह में घुसा दिया, और बोला, “चूस रंडी – तेरा मुँह मेरा माल लेगा!” चाची ने थोड़ी देर लंड चूसा – मैं उनके मुँह में धक्के मारने लगा – और बोला, “आह, चाची, तेरा मुँह एकदुम गरम है – पूरा रस निकाल दो!” थोड़ी देर बाद मेरा माल निकल गया – गरम रस चाची के मुँह में भर गया, थोड़े सा उनके होठों पे तपक गया। चाची बोलीं, “अंकुर, ये गंदा है – बस कर!” मैंने बोला, “चाची, तू मेरी रंडी है – मेरा रस पिया, अब तू मेरी है!”
डोनो थक के बिस्तर पर गिर पड़े – चाची रो रही थी, “अंकुर, तूने मुझे फिर से छोड़ दिया – अब क्या होगा?” मैंने उनको गले लगाया, “चाची, टेंशन मत ले – तू मेरी है, तेरा बच्चा मेरा है, और अगर एक और बच्चा हुआ तो क्या दिक्कत?” चाची चुप हो गई – शायद उनको भी थोड़ी सी ख़ुशी मिली थी। सुबह होली का रंग छाया हुआ था – मैं चाची के घर से निकल गया, पर दिल में एक अजीब सा जोश था। चाची ने मुझसे बाद में बात नहीं की – पर उनकी आँखों में एक छुपा हुआ इशारा था कि वो मुझे भूल नहीं पायेगी!
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