मेरा नाम शिल्पी है और मैं दिल्ली की रहने वाली 39 साल की एक तलाकशुदा महिला हूं। मेरी शादी 30 कि उ अंरेज मैरिज हुई थी और मेरे पति मेरे से एक साल बड़े थे शादी के बाद मैं अपने पति के साथ काफी खुश थी हम दोनों में बहुत ज्यादा प्यार था और दोनों ही अपने सेक्स लाइफ जी रहे थे और बच्चा के बारे में नहीं सोच रहे थे, फिर 5 साल बाद भी हम दोनों बच्चा नहीं कर रहे थे तो मेरे और मेरे पति के बीच बच्चा न कर के भी दोनों बहुत खुश रहते थे। और हम दोनों बच्चा करने के लिए सेक्स किए लेकिन इस बीच उनके परिवार की दखलंदाजी करने लगे और दखलंदाजी हद से ज्यादा बढ़ गई। और मैं प्रेग्नेंट थीं और पति को नहीं बोली मैं दिल्ली में हमेशा ही एक स्वतंत्र और मजबूत ख्यालों वाली लड़की रही हूं। तो अपने पति कि बात को सुनकर अपने मम्मी पापा के घर आ गए।
और मेरे पति मुझे से बात करना भी बंद कर दिए और मेरे पति ने अपने माता-पिता के बातें में आकर ना मुझसे मिलने आते और ना ही फ़ोन करते स्थिति यह हो गई कि हम दोनों को अपनी शादी तोड़नी पड़ी। हम दोनों को तलाक लिए उसके 6 महीने बाद मुझे एक बेटा हुआ। हम दोनों ही अलग-अलग अपने जीवन जीने लगे। मैं अपने बच्चे के साथ काफी खुश हूं
फिर जब मेरा बेटा 2 साल का हुआ तो मम्मी पापा से अपने बच्चे के लिए बार बार पैसे मांगना मुझे अच्छा नही लगता था।
फिर एक दिन मैं नोएडा कि एक कंपनी में जॉब के लिए अपनी रिज्यूमे भेजे तो मुझे नौकरी मिल गई।
तब मेरी मम्मी पापा ने मुझे दूसरी शादी करने के लिए बोले तो पहले वाली शादी और अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए मैंने दूसरी शादी करने से मना कर दिया।
और मैं दिल्ली में अपने मम्मी पापा के साथ ही रहती हूं।
लेकिन ड्यूटी के कारण नोएडा में ही फ्लैट लेकर अपनी मम्मी को बुला ली और बेटे के साथ रहने लगे।
कुछ समय जाब में लगे रहे समय निकल गया और मुझे सेक्स की इच्छा नहीं होती थी।
लेकिन समय के साथ साथ मेरे जिस्म को भी किसी के साथ की जरूरत महसूस होने लगी।
जब मैं कभी अकेली होती तो मोबाइल पर सेक्स की विडियो देखकर मेरा मन भी बहक जाता और मुझे अपनी उँगलियों का सहारा लेना पड़ता।
फिर मैंने रोज ही सेक्स की विडियो देखना शुरू कर दिया और मेरी इतनी बुरी आदत हो गई कि रोज रात में मैं विडियो देखती और फिर बाथरूम में जाकर उंगली से अपने आप को शांत करती।
इसी तरह से मैंने 4 साल काट लिए।
इसके अलावा मेरे ऑफिस में मेरी कई महिला मित्र भी थी जिनका किसी न किसी मर्द के साथ रिश्ता था।
उनके द्वारा भी मुझे कई बार सलाह दी गई कि दुनिया से छुपाते हुए किसी मर्द को अपनी जिंदगी में ले आओ.
लेकिन मैं हमेशा ही इसके लिए मना करती रही और कोई वैसा मिला भी नहीं।
मेरे ऑफिस में ही कई मर्दों की नजर मुझ पर थी जो केवल मेरे एक इशारे का इंतजार कर रहे थे।
कई लोग तो मुझसे बात करने का बहाना तलाश करते रहते थे।
लेकिन दोस्तो, मेरी भी एक जिंदगी है, मेरा भी एक बेटा है और मैं चाहती थी कि मेरी वजह से कभी भी मेरे बेटे की जिंदगी ख़राब नहीं हो इसलिए मैं कभी किसी भी मर्द को अपने पास नहीं भटकने देती थी।
ऐसा नहीं है कि मेरी तमन्ना नहीं थी या मुझे सेक्स की जरूरत महसूस नहीं होती थी शादी के पहले बहुत सारे लड़के के साथ सेक्स किए थे लेकिन शादी के बाद ये सब मैं अपने अंदर दबाए हुए थी।
4 साल तक मैं अपने बदन की गर्मी को ऐसे ही निकालती रही।
फिर मेरी जिंदगी में भी ऐसा कोई आ गया जिसे शायद मेरी वासना ने अपना बना लिया।
हुआ ऐसा था कि मेरा एक इंस्टाग्राम एकाउंट है जिसमें मेरे घर परिवार के लोग और मेरे कुछ अच्छे दोस्त जुड़े हुए हैं।
एक रात में जब मैंने अपना इंस्टाग्राम एकाउंट खोला तो उसमें एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी। मैंने उनकी प्रोफाइल को ओपन किया और उनके प्रोफाइल को देखने लगी। उनका नाम डाक्टर अब्दुल था दिल्ली का रहने वाला था।
उनकी प्रोफाइल अच्छे से देखने के बाद छोड़ दिए क्योंकि उसके बाओ में सेक्स के बारे में था और पोस्ट में सेक्स किए विडियो था।
फिर कुछ दिन बाद उनका एक मैसेज आया तो मैं अपने मन को बहलाने के लिए उसका जवाब दिए।
और विडियो मांगे तो उसने बहुत सारे सेक्स किए विडियो मुझे भेजा फिर इसके बाद तो ये रोज का काम हो गया बात करना सेक्स की वीडियो भेजना और थोड़ी बहुत चैट करना।
धीरे धीरे हमारी चैटिंग लंबी होने लगी और जब मेरी छुट्टी होती तो काफी रात तक हम दोनों चैट करते।
अभी तक हम दोनों ने ही एक दूसरे को देखा नहीं था बस फोटो ही देखी थी। ऐसे ही एक दिन हम दोनों चैट कर रहे थे और उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की।
काफी सोचने के बाद मैंने उन्हें मिलने के लिए हां कह दिया।
रविवार को हम दोनों ही की छुट्टी रहती है और अगले रविवार को हम दोनों ने मिलने का प्लान बनाया। वो मुझे एक रेस्टोरेंट में मिलने वाले थे।
दोपहर 12 बजे मैं अपने घर से निकली और आटो करके उस रेस्टोरेंट में पहुंच गई।
वो वहाँ पहले ही पहुंच गए थे और केबिन नंबर 7 में मेरा इंतजार कर रहे थे। वो एक फैमिली केबिन था।
मैं वहां पहुंची और पहली बार हमने एक दूसरे को देखा। हम दोनों के बीच हाय हैलो हुआ और मैं उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई।
वह एक 5 फ़ीट 6 इंच का जवान तगड़ा लड़का था और देखने से लग रहा था कि वो अपनी सेहत का बहुत ख्याल रखता होगा क्योंकि वह काफी हट्टा कट्टा था।
मैं अपने बारे में आप सभी को बता दूँ कि मेरी लंबाई 5.5 इंच है, मेरा वजन 62 किलो और फिगर 38-32-36 का है। मेरा रंग बेहद गोरा और आँखें हल्की भूरी।
मेरे बदन का सबसे आकर्षक अंग मेरे बूब्स हैं जो कि काफी बड़े और तने हुए हैं। इसके साथ ही मेरे गाड़ भी काफी बड़े बड़े है जिन्हें देखकर लोग दुबारा मुझे जरूर देखते हैं।
मैं अब्दुल के साथ बैठी हुई उसने बात करने लगी। उनकी उम्र 29 वर्ष जवान लड़का था और और दिल्ली में रह कर सरकारी नौकरी कि तैयारी कर रहा था।
मैं उसके साथ वहा करीब दो घंटे तक रही और हम दोनों ने खाना खाया और बात करते रहे। बाद में अब्दुल मुझे मेरी ओला से मेरी कालोनी के बाहर तक छोड़ गया।
उसके बाद हम दोनों की दोस्ती आगे बढ़ने लगी और और ऐसे ही बाहर मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। अब हम दोनों ने चैटिंग के साथ साथ फोन पर भी बात करना शुरू कर दिया।
करीब 6 महीने तक हम दोनों की दोस्ती ऐसे ही चलती रही।
भले ही अब्दुल मुझसे उम्र में छोटा था लेकिन हम दोनों ही दिल दिल में एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। मगर किसी ने भी एक दूसरे को ये बात नहीं बोला।
फिर एक दिन जब रात में हम दोनों फोन पर बात कर रहे थे तो अब्दुल ने मुझसे अपने प्यार का इजहार किया। मैंने भी उसे निराश नहीं किया और उसे हाँ कह दिया।
यह मेरा प्यार था या मेरे जिस्म की वासना थी… मुझे पता नहीं लेकिन उस दिन से मेरे जिस्म में एक अलग तरह से गुदगुदी सी उठने लगी।
जब भी हम दोनों बाहर कहीं पर मिलते थे तब मुझे अपने अंदर से ऐसा लगता था कि अब्दुल मुझे अपनी बांहों में भर लो। लेकिन अब्दुल ने कभी भी मेरे विश्वास को नहीं तोड़ा और मेरी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखा। कभी भी उन्होंने हमारे प्यार के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगने दी।
एक बार गर्मी का मौसम शुरू ही हुआ था तभी पापा ने कोई पुजा रखे और बोले अपनी मम्मी और बेटे को लेकर आ जाओ मैं जाना नहीं चाहती थी फिर भी पापा को मैंने कहा मम्मी को और अपने बेटे को लेकर जाएं तो पापा आए और दोनों को लेकर गए।
अब मैं अपने फ्लैट पर अकेली रह गई थी। सुबह मैं अपने ऑफिस जाती और शाम को आकर फ्लैट पर ही अब्दुल से फोन पर बात और चैटिंग करती रहती थी।
एक दिन अब्दुल ने मुझसे मिलने के लिए बोला. तो मैंने उनसे कहा – फ्लैट पर कोई नहीं है तो तुम फ्लैट पर ही मिलने आ जाओ. मैं अपने हाथ का बना हुआ खाना खिलाऊंगी। उन्होंने भी इसके लिए हां कह दिया।
दो दिन बाद हमने मिलने का प्लान बनाया।
पता नहीं क्यों लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि हमारे बीच कुछ न कुछ होने वाला है। और ये सब सोचकर मेरे जिस्म के अंदर एक अलग सी आग लग गई थी।
मैं जानती थी कि अब्दुल अभी जवान है तो उसे सेक्स करने का बहुत ज्यादा मन करता होगा और हम दोनों ने ही एक दूसरे के प्यार को कुबूल कर लिया था लेकिन अभी तक एक दूसरे को छुआ तक नहीं था।
जिस दिन अब्दुल मेरे यहां आने वाला था उस दिन मैंने सुबह से ही घर का सारा काम कर लिया था।
दोपहर को जब मैं नहाने के लिए गई और बाथरूम में आईने के सामने अपने कपड़े उतारी और ब्रा पेंटी में अपने आप को आईने में देखा तो मेरे हाथ अपने आप ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को सहलाने लगा। मैंने गौर किया कि मेरे अंडरआर्म के बाल काफी बड़े हो चुके हैं. और मैंने अपनी पेंटी नीचे उतार कर अपनी चूत को देखा जिसमें इतने बड़े बाल हो गए थे कि मेरी चूत दिखाई भी नहीं दे रही थी।
मैंने वहीं रखी हुई क्रीम ली और अपने सभी जगह के बालों को साफ कर दिया। अब तो मेरा बदन और मेरी चूत दमक रही थीं।
उस दिन मैं अपने सभी गुप्तांगों को अच्छी तरह से साफ करते हुए नहाई। शाम को मैंने पनीर की सब्जी और चावल बनाये।
शाम को सात बजे अब्दुल आने वाला था, उससे पहले मैंने एक लाल रंग की साड़ी पहनी और बहुत साल के बाद अच्छे से तैयार हुई।
उस दिन मैं बेहद खूबसूरत लग रही थी और मेरे गोरे बदन पर लाल साड़ी एक दुल्हन की तरह लग रही थी।
जानबूझकर मैंने साड़ी अपने कमर से काफी नीचे बांधी हुई थी जिससे मेरी कमर मेरा पेट और मेरी खूबसूरत नाभि साफ साफ नजर आ रही थी।
मैंने गहरे गले, छोटी ब्लाउज पहनी जिसमें से सामने से मेरे दोनों बूब्स उभर कर सामने आ गए थे और सामने से बूब्स की लाइन साफ साफ नजर आ रही थी।
ठीक 7 बजे अब्दुल मेरे यहां आ गया।
काफी देर हम दोनों बातें करते रहे और फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया।
खाना खाने के वक्त अब्दुल की नजर मेरे उभरे हुए बूब्स पर बार बार जा रही थी और जब मैं अपने आंचल को ठीक करती तो गोरी गोरी बूब्स के उभार साफ साफ नजर आ रहे थे। इसके साथ ही मेरी कमर और मेरी नाभि पर भी उसका नजर बार बार जा रहा था।
खाना खाने के बाद हम दोनों टीवी वाले कमरे में बैठकर बातें करने लगे। रात के 10 कब बज गए पता ही नहीं चला।
अब अब्दुल ने घर जाने के लिए मुझसे इजाजत मांगी। अंदर से मेरा मन थोड़ा दुखी हो गया था कि मैंने जो सोचा था वो नहीं होगा।
उनके घर जाने वाली बात पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पता नहीं वह क्या सोचा होगा।
फिर वो जाने के लिए खड़ा हो गया लेकिन दरवाजे की तरफ नहीं बढ़ा और खड़े होकर मुझे ही देखने लगा। हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे।
फिर वो हुआ जो मैंने सोचा नहीं था। अब्दुल मेरा हाथ पकड़ कर अपने तरफ खींचा और एक झटके में मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
इतने दिनों में आजतक अब्दुल ने मुझे छुआ तक नहीं था लेकिन आज उनका व्यवहार कुछ अलग मुस्लिम जैसा लग रहा था।
मुझे अपनी बांहों में भर कर उसने मेरे आखों में देखते हुए कहा– शिल्पी मै तुम्हारे साथ कुछ दिन रहना चाहता हूं. क्या तुम मुझे इसकी इजाजत दोगी?
मैंने अपनी नजर नीचे करते हुए कहा – मैं क्यों मना करूंगी. तुम्हारा फ्लैट है जितने दिन चाहों रह सकते हैं अब्दुल – फ्लैट तो मेरा अपना है लेकिन क्या फ्लैट में रहने वाली भी मेरी है?
फिर मैं हंसते हुए अब्दुल के बाहों से छुटने की कोशिश करने लगी और अब्दुल की बाहों से छूट कर दूर जाने लगी।
तभी अब्दुल फिर से मेरा हाथ पकड़ कर दुबारा से अपनी बांहों में भर लिया. अब्दुल समझ चुका था कि मेरी तरफ से हर चीज की इजाजत मिल गई है।
अपनी बांहों में लेकर अब्दुल मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर ऊपर उठाया मेरी नजर नीचे की तरफ थी।
पहले अब्दुल ने अपनी उँगलियों को मेरे गालों पर चलाया और फिर अपने होंठों को मेरे होंठों के करीब लाया। और
अपने होंठ को मेरे होंठ से सटा कर मेरे होंठों को चुसना शुरू कर दिया। सालों बाद आज किसी मर्द ने मेरे होंठों को चूमा था. यह अहसास ऐसा ही लग रहा था जैसे शादी के बाद सुहागरात में मेरे पति ने मुझे चूमा था।
आज 2 साल के बाद मैं किसी मर्द की बांहों में आई थी।
मेरे बदन का रोम रोम खड़ा हो गया था और मैं आँखें बंद किए हुए अब्दुल की बांहों में सिमटी जा रही थी।
मैं भी वासना की उस आग में पिघलती चली गई और मेरे भी होंठ चलने शुरू हो गए।
जल्द ही मैं अपनी जीभ निकाल कर अब्दुल का साथ देने लगी और अब्दुल मेरी जीभ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
जल्द ही मुझे अहसास हुआ कि मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है और मेरी पेंटी गीली हो रही है।
आज 2 साल से सूखी जमीन पर बारिश होने जा रही थी।
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते चुसते रहे और फिर अब्दुल मुझसे अलग हुआ और मुझे बेडरूम में ले गया।
बेडरूम में लाकर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे चुपचाप खड़ी रहने के लिए कहा।
मैं अपने दोनों हाथ नीचे किए चुपचाप खड़ी रही।
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